स्ट्रॉबेरी की खेती, लाखों का मुनाफा: जाने किस्म और खेती का तरीका Strawberry Ki Kheti

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Strawberry Ki Kheti : स्ट्रॉबेरी एक फल है जो ठंडे जलवायु में पाया जाता है। इसकी खेती सिर्फ पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों में होती थी। भारत में, यह फल नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग आदि के पहाड़ी क्षेत्रों में व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई थी, लेकिन उस समय की कमी और वैज्ञानिक ज्ञान की कमी के कारण यह सफल नहीं हो पाई थी। हालांकि, अब हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार की किस्में विकसित की हैं जिन्हें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।

सर्दियों के मौसम में अब मैदानी क्षेत्रों में भी स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti की जा सकती है। इसकी खेती अब मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, और बिहार जैसे राज्यों में भी प्रचलित है। यहां के किसान इससे फल-सब्जी की खेती की बजाए स्ट्रॉबेरी खेती Strawberry Ki Kheti से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, क्योंकि इसकी डिमांड बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक है। इससे किसानों को इस मौसम में अच्छा मुनाफा हो सकता है।

मुख्य बिन्दु

स्ट्रॉबेरी (Strawberry ) क्या हैं?

सर्दियों में मौसम में मिलने वाला स्ट्रॉबेरी एक विदेशी फल है, जिसे वैज्ञानिक नाम (फ्ऱागार्या) है और यह रोजेसी कुल का सदस्य है। इस फल को विश्वभर में स्वास्थ्यवर्धक फल के रूप में जाना जाता है, जिसका स्वाद और पौष्टिकता लोगों को प्रिय है। स्ट्रॉबेरी का फल गहरे लाल रंग का होता है, जिसकी मिस्री खुशबू बहुत ही आकर्षक होती है।

इसका स्वाद हल्का खट्टा और मीठा होता है। फल की सतह पर बीज होते हैं और ऊपर की ओर चमकदार हरी पत्तेदार टोपी होती है। स्ट्रॉबेरी की विश्वभर में लगभग 600 से अधिक किस्में हैं, जो रंग, स्वाद और आकार में भिन्न होती हैं। खेतों में उगाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी Strawberry Ki Kheti के अलावा, जंगली किस्म की स्ट्रॉबेरी छोटी होती है, लेकिन इसका स्वाद अधिक मिठा होता है।

स्ट्रॉबेरी के पौषक तत्व और उपयोग

स्ट्रॉबेरी का फल खाने लायक लगभग 98 प्रतिशत होता है। स्ट्रॉबेरी में विटामिन-सी और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। फल में 87.8 प्रतिशत पानी, 0.7 प्रतिशत प्रोटीन, 0.2 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज लवण, 1.1 प्रतिशत रेशा, 9.8 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.03 प्रतिशत कैल्शियम, 0.03 प्रतिशत फास्फोरस, और 1.8 प्रतिशत लौह तत्व होता है।

स्ट्रॉबेरी में 30 मि.ग्रा. निकोटिनिक एसिड, 52 मि.ग्रा. विटामिन सी और 0.2 मि.ग्रा. राइवोफ्लेविन भी पाए जाते हैं। इसके फल के सेवन से रक्त अल्पता से ग्रसित रोगियों के लिए लाभकारी है। स्ट्रॉबेरी का उपयोग विभिन्न उद्यमों में जैसे कि जैम, रस, पाइ, मिल्क-शेक, आइसक्रीम, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, आदि में किया जाता है

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, अनुकूल जलवायु, खेत की तैयारी

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। स्ट्रॉबेरी का पौधा ठंडी जलवायु में अच्छे से फलने वाला होता है।

मैदानी क्षेत्रों में इसकी फसल आसानी से उगाई जा सकती है। स्ट्रॉबेरी पौधों को अच्छे से विकसित करने के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान आवश्यक होता है, और ज्यादा तापमान में पौधों का विकास करना कठिन हो सकता है।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए अनुकूल जलवायु

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सही जलवायु का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, अन्यथा नुकसान हो सकता है। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त तापमान की मान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस है।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी

स्ट्रॉबेरी की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अधिक होता है। उचित जल निकासी वाली मिट्टी में स्ट्रॉबेरी के पौध अच्छे से विकसित होते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए खेत की तैयारी

स्ट्रॉबेरी की रोपाई सितंबर से नवंबर के मध्य में की जाती है, इसलिए खेत की तैयारी को ध्यानपूर्वक करना आवश्यक है:

  • पहली जुताई को मिट्टी को खुला छोड़ने के लिए हल से करें।
  • 70-75 टन पुरानी सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें।
  • खाद डालने के बाद, मिट्टी को पलटने वाले हल से जुताई करें।
  • कल्टीवेटर से खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें और समतल करें।
  • आखिरी जुताई पर प्रति एकड़ 60 किलो पोटाश और 100 किलो फास्फोरस डालें।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए Mulching बेड कैसे तैयार करें?

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स्ट्रॉबेरी की रोपाई के लिए खेत तैयार होने के बाद, बेड तैयार करने का तरीका निम्नलिखित है:

  1. बेड की चौड़ाई और दूरी:
    • बेड की चौड़ाई को 2.5-3 फीट रखें।
    • बेडों के बीच की दूरी को डेढ़ फीट रखें।
  2. सिंचाई के लिए पाइप सिस्टम:
    • सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम की पाइप लाइन बिछा दें।
  3. मल्चिंग:
    • बेड पर मल्चिंग बिछा दें।
  4. पाइप लाइन छेद:
    • पौधे लगाने के लिए, प्लास्टिक मल्चिंग में 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर छेद करें।
  5. पौधों की रोपाई:
    • बेड पर स्ट्रॉबेरी के पौधों की रोपाई करें।

इस तरीके से बेड को तैयार करने से स्ट्रॉबेरी की खेती में अच्छे परिणाम मिलते हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti उन्नत किस्में

विश्वभर में कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन भारत में व्यावसायिक दृष्टि से इसकी खेती Strawberry Ki Kheti के लिए निम्न किस्में उपयुक्त मानी जाती हैं।

  • विंटर डाउन, (Winter Down Strawberry Plant ),
  • विंटर स्टार (Winter star Strawberry),
  • ओफ्रा,
  • कमारोसा (Camarosa Strawberry),
  • चांडलर (Chandler Strawberry),
  • स्वीट चार्ली (Sweet Charlie Strawberry),
  • ब्लैक मोर,
  • एलिस्ता,
  • सिसकेफ़,
  • फेयर फाक्स

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए खाद् और उर्वरक

स्ट्रॉबेरी के पौधे काफी नाजुक होते हैं, इसलिए उन्हें समय-समय पर खाद और उर्वरक देना चाहिए। मिट्टी की जाँच के आधार पर खाद और उर्वरक का उपयोग करें। सामान्य भूमि के लिए, खेत में 10 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से डालें।

स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के लिए खेत तैयार करते समय, प्रति एकड़ 100 किलोग्राम फास्फोरस (पी2ओ5) और 60 किलोग्राम पोटाश (के2ओ) डालना चाहिए। रोपाई के बाद, टपका सिंचाई विधि का उपयोग करके निम्नलिखित घुलनशील उर्वरकों को देना चाहिए।

समयघुलनशील उर्वरक की मात्रा प्रति ग्राम/एकड़/दिन
नाइट्रोजनफास्फोरस (पी2ओ5)पोटाश (के2ओ)
10 अक्तूबर से 20 नवम्बर250200400
21 नवम्बर से 20 दिसम्बर600200600
21 दिसम्बर से 20 जनवरी250160600
21 जनवरी से 28 फरवरी700200900
1 मार्च से 31 मार्च600200900

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स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti में सिंचाई की विधि

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स्ट्रॉबेरी पौधे के लिए उत्तम गुणवत्ता वाला पानी अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसे बिना नमक के होना चाहिए। पौधों को तुरंत लगाने के बाद सिंचाई करना आवश्यक है। सिंचाई को सूक्ष्म फव्वारों के माध्यम से करना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि सिंचाई करते समय पौधा स्वस्थ और रोग-मुक्त होना चाहिए।

जब फूल आते हैं, तो स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti में सिंचाई की विधि को बदलकर टपका विधि का उपयोग करें।

पॉलिहाउस ना होने पर स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti को सर्दी से कैसे बचाएं

अगर आपके पास पॉलीहाउस नहीं है और आप स्ट्रॉबेरी पौधों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो आप प्लास्टिक लो टनल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पौधों को सुरक्षित रखने के लिए, ऊपर उठी क्यारियों पर 100-200 माइक्रोन की मोटाई वाली पारदर्शी पॉलीथीन चद्दर से इनको ढकना आवश्यक है।

चद्दर को क्यारियों से ऊपर रखने के लिए आप बांस की डंडियों या लोहे की तारों से बने हुप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि ढकने का कार्य सूर्यास्त से पहले किया जाए और सूर्योदय के बाद पॉलीथीन चद्दर को हटा दिया जाए

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स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti कीट व बीमारी नियंत्रण

स्ट्रॉबेरी की खेती के दौरान कीटाणु और बीमारियों का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण है:

  1. रेड-कोर (Red Core): इस बीमारी के कारण प्रभावित पौधे छोटे आकार के होते हैं और पत्तियाँ नील-हरित शैवाल के रंग की दिखाई देती हैं। नियंत्रण के लिए, प्रति लीटर पानी में 4 ग्राम रिडोमिल नामक दवा को मिलाकर छीड़काव करें।
  2. सन्थ्रेकनोज (Anthracnose): इस बीमारी के कारण प्रभावित पौधों पर काले रंग के धब्बे बनते हैं। नियंत्रण के लिए, मैंकोजेब 0.15 प्रतिशत घोल का इस्तेमाल करें।
  3. झुलसा (Leaf Spot): इस बीमारी के कारण पौधों की पत्तियों पर अनियमित आकार के लाल और बैगनी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। फफूंदी के उग्र प्रकोप होने पर पौधे के सभी भाग झुलस से जाते हैं।

साथ ही, एफिड, लाल मकड़ी, थ्रिप्स, सफेद मक्खी आदि कीड़े भी फसल को हानि पहुँचा सकते हैं। सैप विटिल नामक कीड़ा पके हुए फलों में छेद करके रस चूसता है, इसके लिए इंडोसल्फान 0.5 प्रतिशत का प्रयोग किया जा सकता है।

स्ट्रॉबेरी Strawberry Ki Kheti की तोड़ाई

स्ट्रॉबेरी के पौधों पर लगे फल का रंग जब 70 प्रतिशत तक आकर्षक दिखाई देने लगता है, इन दिनों फलों की तुड़ाई की जाती है। तुड़ाई के समय फलों को कुछ दूरी पर डंडी के साथ तोड़ा जाता है, ताकि फलों पर हाथ न लगे।

इसके बाद, फलों की पैकिंग प्लास्टिक की प्लेटों में की जाती है, जो कुशलता से होती है। पैकिंग के बाद, इन्हें हवादार जगह पर रखा जाता है, जहाँ का तापमान 5 डिग्री के आसपास होता है।

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स्ट्रॉबेरी Strawberry Ki Kheti की पैकिंग और विपणन

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स्ट्रॉबेरी की पैकिंग और विपणन का प्रक्रिया:

  1. तुड़ाई: स्ट्रॉबेरी के पैकिंग की प्रक्रिया पहले तुड़ाई के दौरान शुरू होती है। फलों को सही समय पर और सही तरीके से तोड़ा जाता है, ताकि उनमें कोई कमी न रहे।
  2. सॉर्टिंग और ग्रेडिंग: तुड़ाई के बाद, फलों को सॉर्ट किया जाता है, जिसमें उन्हें आकार, रंग, और स्वस्थता के आधार पर अलग-अलग ग्रेडों में विभाजित किया जाता है।
  3. पैकिंग: ग्रेडिंग के बाद, फलों को एकत्र करके उन्हें विशेष पैकेजिंग मटेरियल में पैक किया जाता है। यहां ध्यान से देखा जाता है कि पैकेजिंग में फलों को किसी भी प्रकार का क्षति न हो।
  4. लेबलिंग और ब्रांडिंग: पैकेजिंग के साथ ही, स्ट्रॉबेरी को उच्च गुणवत्ता वाले लेबल और ब्रांडिंग के साथ चिह्नित किया जाता है, ताकि उपभोक्ता आसानी से उन्हें पहचान सकें।
  5. कुल्हाड़ी और इसोथर्मिक बॉक्स: स्ट्रॉबेरी को ठंडे और उच्च गुणवत्ता वाले इसोथर्मिक बॉक्स में पैक किया जाता है, जो इसे विपणन और वितरण के दौरान ताजगी और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  6. वितरण: एक बार पैक किए गए स्ट्रॉबेरी को अब बाजार में वितरित किया जाता है, जहां वे उपभोक्ताओं तक पहुंचते हैं।

इस प्रक्रिया के माध्यम से, स्ट्रॉबेरी को सही रूप से पैक करके उच्च गुणवत्ता में प्रदान किया जा सकता है, जिससे उपभोक्ता को स्वास्थ्यपूर्ण और स्वादिष्ट प्रोडक्ट मिलता है और आपकी स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti की सही वैल्यू मिल पाती है।

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स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti में पैदावार, लागत और मुनाफा

स्ट्रॉबेरी की फसल से अच्छी पैदावार के लिए कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि किस्म, जलवायु, मृदा का स्तर, पौधों की संख्या, और फसल प्रबंधन। उच्च गुणवत्ता में प्रदान करने के लिए फसल का सही प्रबंधन और देखभाल करना महत्वपूर्ण है। एक अच्छी देखभाल के साथ, स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti में एक एकड़ क्षेत्र में 80 से 100 क्विंटल तक फल प्राप्त किया जा सकता है

स्ट्रॉबेरी की फसल Strawberry Ki Kheti में लागत लगभग 2-3 लाख रुपये प्रति एकड़ आती है, और प्राप्त फायदा 5-6 लाख रुपये के आस-पास हो सकता है। इससे स्ट्रॉबेरी उत्पादन से अच्छी आर्थिक उपज हो सकती है।

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स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti के बारे मे पूछे जाने वाले प्रश्न

Q: स्ट्रॉबेरी के पौधे कहाँ मिलेंगे?

Ans: स्ट्रॉबेरी के पौधे हिमाचल प्रदेश के सोलन और महाराष्ट्र के सतारा जिले से उपलब्ध होते हैं।

Q: स्ट्रॉबेरी का पौधा कितने का मिलता है?

Ans: स्ट्रॉबेरी का पौधा 3 से 15 रूपए के बीच मिलता है, इस पर निर्भर करता है कि आप किस किस्म को चुन रहे हैं।

Q: स्ट्रॉबेरी की फसल कितने महीने की होती है?

Ans: स्ट्रॉबेरी की फसल लगभग 5 से 6 महीने तक पूरे विकास की प्रक्रिया में होती है।

Q: स्ट्रॉबेरी सबसे ज्यादा कहां उगाई जाती है?

Ans: स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर घाटी, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे अधिक की जाती है।

Q: स्ट्रॉबेरी कब लगाई जाती है?

Ans: स्ट्रॉबेरी की रोपाई सितंबर से नवंबर के बीच की जाती है, जब मौसम उपयुक्त होता है।

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