Little Millet Kutki Farming लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती : (पैनिकम सुमाट्रेंस) भारतीय अनाजों में से एक है, जो बहुत अच्छा पोषण देता है और सूखे स्थानों पर अच्छे से उग सकता है। यह भोजन और चारे के लिए बहुत अच्छा अनाज है और इसे भारत के कई जगहों में बोया जाता है। ये छोटे बीज वाले बाजरे का एक प्रकार है जो हमारे खाने में भी उपयोग आता है।
लिटिल बाजरा कुटकी Little Millet Kutki (पैनिकम सुमाट्रेंस) वाला यह घास साल में एक बार उगता है और दक्षिण-पूर्व एशिया की मूल फसल है। इसकी उच्च पोषक तत्वों और सुगंध के कारण यह बहुत जगहों में उपयोग होता है, जैसे कि भोजन बनाने में और पशु चारा देने में भी।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) भारतीय किसानों को अच्छी आय और नई तकनीकों से जुडने में मदद करता है। लिटिल बाजरा (कुटकी की विशेषता यह है कि यह सूखा से बच कर उत्पादन दे सकता है, इसलिए यह जगहों जगहों पर उगाया जा सकता है जहां अन्य फसलों को उगाने मे मुश्किल होती है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) अनाज का उपयोग हमारे शरीर के पोषण के लिए बहुत फायदेमंद है और यह भारतीय बाजारों में भी बहुत पसंद किया जाता है। इससे न केवल अच्छा पोष्टिक भोजन बनता है, बल्कि यह किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत करने में मदद करता है।
भारत में, इस अनाज की खेती अधिकतर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और आंध्र प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में होती है। Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) एक शानदार किस्म का बाजरा है जो सभी आयु के लोगों के लिए फायदेमंद है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) कब्ज से बचाव करता है और पेट संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह थोड़ा सा बाजरा कोलेस्ट्रॉल से भरपूर होता है, जिससे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है, बच्चों के लिए भी फायदेमंद है और शरीर को मजबूत बनाए रखता है।
इसमें मौजूद जटिल कार्बोहाइड्रेट खाने को धीरे-धीरे पचाने में मदद करता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त होता है। प्रति 100 ग्राम बाजरे में 8.7 ग्राम प्रोटीन, 75.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 5.3 ग्राम वसा, 1.7 ग्राम खनिज, और 9.3 मिलीग्राम आयरन होता है। इसका उच्च फाइबर शरीर में वसा fat की जमाव को कम करने में मदद करता है।
छोटे बाजरे में पाए जाने वाले फिनोल, टैनिन, और फाइटेट की तरह न्यूट्रास्यूटिकल घटक भी शरीर को अन्य पोषक तत्वों के साथ प्रदान करते हैं, जिससे यह बाजरा सेहत के लिए और भी अच्छा है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) को विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से जाना जाता है:
- हिंदी: कुटकी, शवन
- बंगाली: समा
- पंजाबी: स्वांक
- तेलुगु: समलू
- उड़िया: सुआन
- कन्नड़: समा, वही
- गुजराती: गजरो, कुरी
- तमिल: समाई
- मराठी: सावा, हलवी, वारी
Little Millet (कुटकी) की विभिन्न उन्नत किस्में :
उड़ीसा में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में :
- ओएलएम 203
- ओएलएम 208
- ओएलएम 217
मध्य प्रदेश में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- जेके 4
- जेके 8
- जेके 36
आंध्र प्रदेश में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- ओएलएम 203
- जेके 8
तमिलनाडु में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- पैयूर 2
- टीएनएयू 63
- सीओ-3
- सीओ-4
- के1
- ओएलएम 203
- ओएलएम 20
छत्तीसगढ़ में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- जेके 8
- बीएल 6
- बीएल-4
- जेके 36
कर्नाटक में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- ओएलएम 203
- जेके 8
गुजरात में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- जीवी 2
- जीवी 1
- ओएलएम 203
- जेके 8
महाराष्ट्र में Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की किस्में:
- फुले एकादशी
- जेके 8
- ओएलएम 203
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की बुआई का समय
लिटिल बाजरा (कुटकी) की बुआई का समय इसके उपयोग क्षेत्र और मौसम के अनुसार बदलता है। यहां कुछ सामान्य मार्गदर्शन दिया जा रहा हैं:
- खरीफ (मानसून): अधिकांश स्थानों में, लिटिल बाजरा का खरीफी बोया जाता है, जो मानसून की शुरुआत के साथ जुलाई के पहले पखवाड़े में किया जा सकता है।
- तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश (रबी): तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों में, इसकी रबी में बुआई की जा सकती है जो सितंबर से अक्टूबर तक का समय हो सकती है।
- मध्य मार्च – मध्य मई (सिंचाई): बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में, जहां सिंचाई प्रणालियों का प्रयोग होता है, लिटिल बाजरा को सिंचित फसल के रूप में मध्य मार्च से मध्य मई तक बोया जा सकता है।
नोट : Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की बुआई का समय विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकता है, और यहां दी गई जानकारी आम दिशा निर्देश है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की बुआई के समय पंक्ति की दूरी और बीज दर
लिटिल बाजरा (कुटकी) की बुआई के समय की दूरी और बीज दर के लिए निम्नलिखित गाइडलाइन्स हैं:
- बुआई की दूरी:
- पंक्ति से पंक्ति: 25-30 सेमी
- पौधे से पौधे: 8-10 सेमी
- बीज की गहराई: 2-3 सेंटीमीटर
- बीज दर:
- पंक्ति बुवाई के लिए: 8-10 किग्रा/हेक्टेयर
- प्रसारण के लिए: 12-15 किग्रा/हेक्टेयर
इन गाइडलाइन्स का पालन करके सही बुआई प्रणाली को अपनाने से लिटिल बाजरा की सही उगाई और पौधों की सही फसल विकसित होती है, जो उच्च उत्पादकता और प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है।
भूमि की तैयारी एवं मृदा स्वास्थ्य
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए अनुकूल जलवायु
अनुकूल जलवायु में लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती करना उत्तम है। यह सूखे और जल भराव दोनों के साथ सही रूप से विकसित हो सकता है। इसलिए, इसे वर्षा आधारित स्थितियों में उच्च पैदावार के साथ उगाने का एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती को 2000 मीटर की ऊचाई तक के पहाड़ी क्षेत्रों में सीमित किया जा सकता है, जो इसे विभिन्न भू-वायु स्थितियों में उपयुक्त बनाता है। इसके लिए उच्च नमी और मात्राओं में विचारशीलता की आवश्यकता होती है।
यह फसल ठंडे तापमान के साथ भी अच्छे से बढ़ सकती है, लेकिन यह 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान के साथ अच्छे से नहीं रह सकती।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए उपयुक्त भूमि
कुटकी (लिटिल बाजरा) की उच्च उपजाऊता और संतोषजनक वृद्धि के लिए, निम्नलिखित प्रकार की मिट्टियाँ उपयुक्त हो सकती हैं:
- गहरी, दोमट मिट्टी: कुटकी को सही तरह से बढ़ावा देने के लिए, गहरी और दोमट मिट्टी अच्छी होती है। इसमें अधिक नुमाइश रहती है और फसल को अच्छे से पोषित करती है।
- जैविक पदार्थों से भरपूर: Little Millet Kutki कुटकी की उच्च उपजाऊता के लिए, जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी अच्छी रहती है। ये मिट्टी को समृद्धि से भरकर रखते हैं और पौधों को सही पोषण प्रदान करते हैं।
- पीएच सीमा: अच्छी जल निकासी के लिए, मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। इससे Little Millet Kutki कुटकी को उच्च उपजाऊता में मदद मिलती है।
- नमी दृष्टि से: उच्च कार्बनिक पदार्थों और अच्छी नमी वाली मिट्टी प्राथमिकता प्राप्त करती है। यह नमी को अच्छी तरह से बनाए रखती है और फसल को सही ढंग से पानी प्रदान करती है।
- लवणता और क्षारीयता का सामना: कुटकी को सही रूप से बढ़ावा देने के लिए, मिट्टी में हद तक लवणता और क्षारीयता हो सकती है।
इन विशेषताओं वाली मिट्टियों का चयन करने से कुटकी की उच्च उपजाऊता और सुषम विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए खेत की तैयारी
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की फसल की अच्छी उगाई के लिए खेत की तैयारी में यह कदम आवश्यक है:
- खेत की जुताई: खेत को समतल और बराबरी के साथ जुताई करना महत्वपूर्ण है। यह फसल को समग्रता से पोषित करने में मदद करता है और उच्च प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है।
- खेत को समतल करना: खेत को समतल बनाए रखना फसल को अच्छी तरह से बोने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पानी की सही वितरण होता है और पौधों को सही ढंग से पोषित करता है।
- गहराई में जुताई: लगभग 8 इंच की गहराई तक जुताई करना फसल के बेहतर निकासी के लिए महत्वपूर्ण है। यह फसल के जड़ों को अच्छे से जमा करने में मदद करता है और पौधों को स्थिरता प्रदान करता है।
- अनुकूल खादों का उपयोग: खेत को उपयुक्त खादों से सुषम बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह फसल को उच्च पोषण प्रदान करता है और सुरक्षित उपज का समर्थन करता है।
इन तैयारी कदमों का पालन करके Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की फसल की को सुषमता से बोना जा सकता है, जिससे सही समय पर सही प्रदर्शन प्राप्त हो सकता है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए खाद और उर्वरक
खाद और उर्वरक के सुझाव के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:
- कम्पोस्ट या गोबर की खाद:
- मात्रा: बुआई से लगभग एक महीने पहले, 5-10 टन/हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट या गोबर की खाद डालें।
- प्रभाव: यह भूमि को समृद्धि से भरता है और पौधों को सही पोषण प्रदान करता है।
- नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K):
- सुझाव : 40 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा फॉस्फोरस, और 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर का सुझाव दिया जाता है।
- प्रभाव: यह सुनिश्चित करता है कि पौधों को उच्च पोषण प्राप्त होता है और उपज की अच्छी गुणवत्ता प्राप्त होती है।
- मृदा परीक्षण:
- संस्तुति: मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
- प्रभाव: यह सुनिश्चित करता है कि खेत को आवश्यक पोषण मिलता है और सही रूप से विकसित होता है।
- खाद की डालने की समय सीमा:
- नाइट्रोजन: बुआई के समय और पहली सिंचाई के समय में आधी मात्रा में डालें।
- फॉस्फोरस और पोटाश: बुआई के समय में पूरी मात्रा में डालें।
इन सुझाव का पालन करके सुनिश्चित किया जा सकता है कि Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती में सही पोषण हो और फसल उच्च प्रदर्शन कर सके।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती में निराई गुड़ाई
निराई और गुड़ाई का तरीका:
- लाइन में जुताई:
- मात्रा: लाइन में बोई गई फसल में दो अंतर जुताई करनी चाहिए।
- विधि: एक हाथ से निराई करने के बाद, दूसरे हाथ से गुड़ाई करें।
- प्रभाव: यह फसल को अच्छी तरह से साफ करता है और अच्छे रूप से बूँदें मिलती हैं।
- इंटरकल्चरल ऑपरेशन:
- समय: जब Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) 30 दिन पुरानी हो जाए, तब टाइन-हैरो का उपयोग करके इंटरकल्चरल ऑपरेशन करें।
- विधि: टाइन-हैरो का उपयोग करके फसल के बीच इंटरकल्चरल ऑपरेशन करें।
- प्रभाव: यह फसल की गुणवत्ता को बढ़ावा देता है और अच्छे उत्पादन को समर्थन करता है।
- निराई-गुड़ाई की समय सीमा:
- पहली निराई-गुड़ाई: बिखरी हुई फसल में पहली निराई-गुड़ाई को अंकुर निकलने के 15-20 दिन बाद करें।
- दूसरी निराई-गुड़ाई: पहली निराई के 15-20 दिन बाद और फसल 30 दिन पुरानी होने पर दूसरी निराई-गुड़ाई करें।
- प्रभाव: यह फसल को सही समय पर सही दिशा में बूँदें प्रदान करता है और उच्च उत्पादन को सुनिश्चित करता है।
इन सुझावों का पालन करने से फसल को सही समय पर सही रूप से देखभाल मिलती है, जिससे उच्च गुणवत्ता और प्रदर्शन संभावित होता है।
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Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती में सिंचाई का तरीका :
- खरीफ मौसम:
- आवश्यकता: खरीफ मौसम की फसल को न्यूनतम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- तरीका : इसमें ज्यादातर वर्षा आधारित फसल का प्रमुख हिस्सा होता है।
- सूखा मौसम:
- आवश्यकता: यदि सूखा मौसम अधिक समय तक रहता है, तो 1-2 सिंचाइयां देनी चाहिए।
- तरीका : सूखे के समय में सिंचाई को ध्यानपूर्वक और सही तरीके से करना चाहिए।
- ग्रीष्मकालीन फसल:
- आवश्यकता: मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर ग्रीष्मकालीन फसल को 2-5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
- विधि: सिंचाई को मौसम और फसल की आवश्यकताओं के अनुसार नियमित और सही मात्रा में करना चाहिए।
सुझाव:
- सिंचाई को पौधों के आधार पर ना करें, बल्कि मौसम और फसल की आवश्यकताओं के अनुसार नियमित अंतराल पर करें।
- सिंचाई के लिए पहले से योजना बनाएं और योजना के अनुसार काम करें।
- सिंचाई के लिए उपयुक्त तकनीकी उपायों का उपयोग करें, जैसे कि फव्वारा सिंचाई।
उपयुक्त सिंचाई से फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है, जिससे उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त हो सकती है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती मे फसल प्रणाली का तरीका:
- उड़ीसा:
- फसलों का संयोजन: छोटा बाजरा और काला चना का संयोजन, 2:1 पंक्ति अनुपात में किया जा सकता है।
- मध्य प्रदेश:
- फसलों का संयोजन: Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी)और तिल/सोयाबीन/अरहर का संयोजन, 2:1 पंक्ति अनुपात में किया जा सकता है।
- दक्षिणी बिहार:
- फसलों का संयोजन: छोटा बाजरा और अरहर का संयोजन, 2:1 पंक्ति अनुपात में किया जा सकता है।
सुझाव:
- विभिन्न फसलों को एकसाथ करके मिश्रित खेती प्रणाली को अपनाएं, जिससे मिट्टी को विशेष NUTRITION मिलती हैं।
- अच्छी खेती के तरीकों का पालन करें, जैसे कि सही बुआई समय, उचित सिंचाई, और उर्वरक का सही प्रबंधन।
- समर्थनीय फसलों का चयन करें, जो क्षेत्र के अनुकूल हों और उच्च उत्पादन को सुनिश्चित करें।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए यह फसल प्रणाली के सुझाव बाजार में सबसे अच्छा नतीजा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन स्थानीय मौसम, मिट्टी, और किसान की आवश्यकताओं के आधार पर इन्हें समायोजित किया जा सकता है।
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Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) फसल कटाई और उपज:
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की फसल की कटाई
फसल कटाई का समय आते ही हमारी मेहनत का फल मिलता है! जब हमारी फसलें ठीक से पूरी तरह से पकी होती हैं, तो हम उन्हें काटकर निकाल सकते हैं। बुआई के बाद लगभग 65-75 दिनों में इस काम को करना होता है।
Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की फसल की उपज
अच्छे मौसम और सही तकनीक के साथ, हम एक हेक्टेयर पर लगभग 12-15 क्विंटल अनाज और 20-25 क्विंटल भूसा प्राप्त कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी फसलें स्वस्थ और सुरक्षित हैं, हमें सही तकनीक, सलाह और बाजार में तेज़ी से बदलती ताकतों की आवश्यकता है।
बस, इस समय में ठीक से तैयार रहना है ताकि हमारी मेहनत का बेहतरीन फल हमें मिले!
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FAQs : Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती बारे मे पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: कुटकी की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अधिक उपयुक्त है?
उत्तर: यह फसल जल निकासी वाली हल्की मिट्टी में अच्छी तरह उगाई जा सकती है। जल निकासी अच्छी होने पर, इसे लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में खेती के लिए उपयुक्त माना जा सकता है। गर्मियों में जोताई और वर्षा के बाद खेत की दुबारा जुताई करके और मिट्टी की कुदाली करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मिट्टी अच्छी तरह से भुरभुरी है।
प्रश्न: भारत में कुटकी की खेती कहाँ की जाती है?
उत्तर: कुटकी की खेती के प्रमुख क्षेत्रों में उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और मध्य प्रदेश शामिल हैं। इसकी खेती ने भारत में विभिन्न राज्यों में 2015-16 के दौरान कुल 1.27 लाख टन के उत्पादन और 544 किग्रा/हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है।
प्रश्न: कुटकी को कैसे उगाया जाता है?
उत्तर: कुटकी को 25-30 सेमी (पंक्ति से पंक्ति) और 8-10 सेमी (पौधे से पौधे) की दूरी पर बोना जाता है। इसकी फसल की संस्तुति के लिए बीज को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोना जाता है। फसल 30 दिन पुरानी हो जाने पर, टाइन-हैरो का उपयोग करके इंटरकल्चरल ऑपरेशन की सिफारिश भी की जाती है।
प्रश्न: Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) के लिए किस जलवायु की आवश्यकता होती है?
उत्तर: लिटिल बाजरा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जा सकता है और यह सूखा सहिष्णु, बहु, और आकस्मिक फसल प्रणाली के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न: Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की कटाई कब की जाती है?
उत्तर: फसल की बालियां शारीरिक रूप से परिपक्व होने के बाद, बुवाई के 65-75 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इससे बेहतर पैदावार प्राप्त हो सकता है और उच्च गुणवत्ता की फसल मिल सकती है।
प्रश्न: Little Millet Kutki लिटिल बाजरा (कुटकी) की खेती के लिए उपयुक्त खाद की मात्रा क्या होती है?
उत्तर: बुवाई से लगभग एक महीने पहले, कम्पोस्ट या गोबर की खाद 5-10 टन/हेक्टेयर की दर से डालें। एक अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए, 40 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा फॉस्फोरस, और 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है।