पंजाब में अधिकांश किसान धान और गेंहूं की खेती करते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप 6 महीनों में खर्चा निकालकर 5 लाख रुपये की बचत कर सकते हैं।
आइए नीचे खबर में जानते हैं कैसे इसे शुरू किया जा सकता है –
पंजाब के किसान अपना रहे है Unnat Kheti उन्नत खेती
पंजाब में अधिकांश किसान धान और गेहूं की फसलों पर ही निर्भर रहते हैं। हालांकि, बीते कुछ सालों से किसानों ने विभिन्न फसलों की खेती की शुरुआत की है। फरीदकोट के एक छोटे से गांव, मानीसिंहवाला, के रहने वाले प्रदीप सिंह और उनकी पत्नी इन्हीं किसानों में से एक हैं।
इन्होंने करीब दो साल पहले स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti शुरू की है। अब वे हर 6 महीने में इस फसल से 5 लाख रुपये का मुनाफा कमाने लगे हैं।
ऐसे शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti
प्रदीप सिंह बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती का आइडिया आया तो सबसे पहले वहां गए, जहां इसकी फसल ज्यादा लगती है, और वहां से इस बारे में जानकारी ली। उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे शहर से अच्छे स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदे।
खेत के छोटे से हिस्से में इन्होंने इसे लगाया और अच्छे परिणाम प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti करने का निर्णय लिया, और उनकी पत्नी ने भी इस काम में बड़ा योगदान दिया।
खर्चे निकाल कर रहे हैं 5 लाख का मुनाफा
प्रदीप सिंह आगे कहते हैं कि मेरी पत्नी स्ट्रॉबेरी को बहुत अच्छी तरह पैकिंग करती हैं। मैं इसे मंडी में ले जाता हूं, जहां सारा माल बिक जाता है। कुल खर्च निकालकर, हमें 5 लाख का मुनाफा होता है, जो कि दूसरी फसलों से कहीं ज्यादा है। साथ ही, हमने खेत में स्ट्रॉबेरी के साथ मिर्च और प्याज भी लगा रखी हैं।
बच्चों के लिए ये सलाह
प्रदीप सिंह अब अपने दूसरे किसान भाईयों को पारंपरिक खेती को छोड़कर मुनाफेदार फसलों की खेती करने की सलाह दे रहे है। इससे किसान के बच्चे विदेशों की ओर रुख करना बंद हो सकता है।
किसान की पत्नी, कुलविंदर कौर, ने बताया कि “मेरे पति ने मेरे साथ इस स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry Ki Kheti की शुरुआत की। उन्होंने जब मुझसे खेत में काम करने को पूछा तो मैंने तुरंत हां कर दी। मैं भी किसान की बेटी हूं और बचपन से ही खेतों में रही हूं। मुझे खेतों में काम करने में कोई दिक्कत नहीं है”। फिलहाल, स्ट्रॉबेरी की खेती के जरिए गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है।