नमस्कार किसान भाइयों और बहनों, जानिए गेंहू में पीलापन को कैसे रोका जा सकता है और जब गेंहू पीली पड़ जाए, तो कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं। इस पोस्ट में हम आपको गेंहू की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने आए हैं। हम आपको बताएंगे कि गेंहू में पीलापन क्यों होता है और इसकी पूरी जानकारी कैसे प्राप्त की जा सकती है।
गेंहुं में पीलापन के कारण और निवारण –
प्रिय किसान भाइयों और बहनों, आने वाले समय में गेंहू में पीलापन की समस्या हो सकती है, खासकर हल्की मिट्टी में। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं, जैसे कि नेमोटोड्स और फंगस।
हमारी हल्की मिट्टी में इन दोनों के विकास का मौसम होता है, जिसके कारण पौधों की जड़ें खत्म हो जाती हैं और उन्हें पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता।
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निवारण – गेंहू में पीलापन को ऐसे रोके –
हम केमिकल के रूप में कार्बोफ्यूरान डालते हैं, लेकिन यह बहुत ही हानिकारक हो सकता है क्योंकि इसका अधिक प्रयोग करने से मिट्टी में मौजूद उपयुक्त चीजें हो सकती हैं। आने वाले समय में, नेमोटोड्स, विशेषकर हल्की मिट्टी में, बहुत जटिल रूप से बढ़ सकते हैं।
आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप गेंहू में पीलापन रोकने के लिए जैविक उपायों का उपयोग करें, जैसे कि जीवाणू जैसे पेसिलोमाईसिस, पोसोनिया क्लाइडोस्पोरिया, और नीम की खली। अच्छी बात यह है कि ट्राईकोडर्मा का प्रयोग बहुत से किसानों ने करना शुरू किया है।
फोस्फोरस और कापर से बीजों का इलाज – हमने हाल ही में फोस्फोरस और कापर का उपयोग करके बीजों को उपचारित किया है, जिससे हमें अच्छे परिणाम मिले हैं। इसके परिणामस्वरूप, आने वाले समय में हमारी उपार्जित फसल का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। कापर फंगस और बैक्टीरियल रोगों के आने से रोकने में सहायक होता है।
महत्वपूर्ण सूचना – किसान साथियों, फंगस के कारण हमारी पैदावार की जड़ सही रिति से पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे बाद में दीमक हमारे पौधों पर हमला करती है। दीमक कभी भी जीवित चींज पर अटैक नहीं करती है, इसलिए हमें फंगस का इलाज करना आवश्यक है, ताकि दीमक का स्वाभाविक समाप्त हो सके।
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