चना साप्ताहिक रिपोर्ट 4 मार्च 2024: चने के बाजार में हाल ही में बढ़ती मांग के कारण चने की कीमतों में तेजी आई है। पिछले हफ्ते सोमवार को दिल्ली मंडी में (राजस्थान लाइन) नए चने का भाव 6100/6125 रुपये पर खुला था और शनिवार को 6275/6300 रुपये पर बंद हुआ।
इस तरह, चने की कीमतों में बीते हफ्ते +175 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी रही। बाजार में इस तेजी के पीछे मांग की बढ़त और दाल और बेसन के उपयोग में वृद्धि के कारण एक महत्वपूर्ण कारण है।
आईए आगे इस पोस्ट मे जानते हैं की आने वाले समय मे चने के भाव किस दिशा मे बढ़ सकते हैं…
चने की कीमतों में तेज़ी की संभावना
बाजार के विशेषज्ञों की माने तो, इस बार चने की कीमतों में तेज़ी की संभावना है। चने के भाव में हो रही यह तेज़ी के पीछे कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं…
- चने की सख्त सप्लाई और मांग में वृद्धि से चने का भाव मजबूत हो रहा है।
- OTR चना की डिलीवरी में देरी से भी बाजार में मजबूती आई है।
- चने के उत्पादन में बड़ी गिरावट की अपेक्षा है, जिससे पिछले साल की तुलना में कम होगा।
- देश में कमजोर बोआई के कारण यील्ड में भी कमी की आशंका है।
- दक्षिण भारतीय राज्यों (कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और तमिलनाडु) की चने की आवक अब समाप्त हो रही है।
- महाराष्ट्र में बोआई की गिरावट के कारण आवक में कोई दबाव नहीं है।
- मध्य प्रदेश में बोआई कमजोर हो रही है और बारिश या ओलावृष्टि से नुकसान की संभावना है।
- राजस्थान में बोआई कम हो रही है, लेकिन फसल की रिपोर्ट अच्छी है।
- उत्तर प्रदेश में चना अप्रैल तक तैयार होने की उम्मीद है, लेकिन कई जिलों में बारिश या ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हो सकता है।
भविष्य मे चने के भाव
नाफेड के पास 2023 में चना का लगभग 9.25 लाख टन का स्टॉक है, जैसा कि अनुमानित किया जा रहा है। भारत में दाल और OTR चना की डिलीवरी का इंतजार थोड़े समय के लिए हो सकता है।
OTR चना की डिलीवरी की उम्मीद अब केंद्रीय भंडार के द्वारा होने की है, HACCA की बजाय। OTR चना की डिलीवरी की शुरुआत होने पर 200 तक की कमजोरी की उम्मीद है। हालांकि, इस गिरावट का असर शॉर्ट टर्म और खरीदारी के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है।
चने में गिरावट पर खरीदारी की सलाह दी जा रही है। दिल्ली में चना की कीमत अब 6000 रुपये के नीचे जाने की उम्मीद कम है। यदि उत्पादन अनुमान कमजोर रहता है, तो मई-जून तक 6800-7000 रुपये के बीच हो सकता है। इस वर्ष सरकारी चना की खरीदारी भी कमजोर हो सकती है, क्योंकि बाजारी भाव MSP से ऊपर हो सकते हैं।