Cotton Farming : खेत की तैयारी किसी भी फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिना उचित तैयारी के, अगली फसल ठीक से नहीं उगती है, इसलिए कृषि वैज्ञानिक यह सलाह देते हैं कि एक से दूसरी फसल में जाते समय खेत की तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जाए।
विशेषतः जब वह फसल बाजार में महंगी बिक रही हो। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कपास की फसल के बाद खेत खाली छोड़ दिया गया हो, तो फरवरी के अंत में गहरी जुताई की जानी चाहिए। इससे मिट्टी में पड़ी सुंडियों को पक्षी खा जाएंगे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि Cotton Farming खेत को खाली छोड़ने से कई हानिकारक कीट और वायरस समाप्त हो जाते हैं, इसलिए एक से दूसरे फसल के बीच में खेत कुछ दिनों के लिए खाली रखना उत्तम होता है।
सोशल मीडिया पर जारी की जानकारी
Cotton Farming : कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कपास की फसल के बाद, अगली फसल में गुलाबी और चितकबरी सुंडियों तथा मिलीबग के प्रकोप को कम करने के लिए, खेत में लगे टिन्डों को झाड़ देना चाहिए।
यदि बणछँटियां खेत में उपस्थित हों, तो उन्हें गहरी तरह से काट देना चाहिए और मोढ़ी की फसल को कभी भी न लेना चाहिए। हरियाणा के कृषि विभाग ने अपने राज्य के किसानों के लिए इस सलाह को जारी किया है।
इसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया है, ताकि किसी भी किसान इससे सीख सके।
गेहूं की फसल के बाद भी खेत खाली छोड़ने की सलाह
कृषि वैज्ञानिक गेहूं की खेती के बाद भी खेत को खाली छोड़ने की सलाह देते हैं, और इसे अक्सर अन्य राज्यों के किसानों भी अपनाते हैं। उनका तर्क यह है कि धूप में खेत की जुताई करने के बाद, वहाँ के कई हानिकारक वायरस और कीट मर जाते हैं।
इससे धान या अन्य फसलों की खेती प्रभावी होती है। अप्रैल के बाद, कृषि वैज्ञानिक नियमित रूप से इस सलाह की जानकारी देते हैं। वर्तमान में हरियाणा में कपास की खेती होती है।
इसलिए सरकार ने यह सलाह जारी की है ताकि इस महीने खेत खाली होने के बाद किसान अपने खेतों को गहरी जुताई कर सकें, जिससे उन्हें लाभ हो।
यह मिट्टी होती है कपास के लिए सबसे उपयुक्त – Cotton Farming
Cotton Farming : कपास के लिए काली मिट्टी बेहद उपयुक्त होती है, क्योंकि इसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक होती है और पानी को अच्छे से बनाए रखने की क्षमता होती है।
साथ ही, किसान सिंचाई के लिए बूंद बूंद सिंचाई पद्धति का उपयोग करके कपास में बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कपास की सघन खेती Cotton Farming में, पंक्तिबद्धी द्वारा 45 सेमी के बीच पंक्तियाँ बनाई जाती हैं और पौधों के बीच 15 सेमी की दूरी बनाई जाती है।
बीज दान की दर 6 से 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है। इससे उत्पादन में 25 से 50 प्रतिशत की वृद्धि होती है।